"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
चाहना आनन्ददायक है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति!इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!सूचनार्थ!--अन्तर्राष्ट्रीय मूर्खता दिवस की अग्रिम बधायी स्वीकार करें!
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में.....प्रतीक्षा में युग बीत गए ,सन्देश न कोई मिल पाया ,सच बतलाऊँ तुम्हें प्राण ,इस जीने से मरना भाया .
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3 comments:
चाहना आनन्ददायक है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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अन्तर्राष्ट्रीय मूर्खता दिवस की अग्रिम बधायी स्वीकार करें!
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में.....
प्रतीक्षा में युग बीत गए ,सन्देश न कोई मिल पाया ,
सच बतलाऊँ तुम्हें प्राण ,इस जीने से मरना भाया .
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