चढ़ा दो
उसे फांसी पर !
क्यों, क्योंकि -
वह गांधीवादी तो है
पर तालीबानी गांधीवादी है !
वह अहिंसा का पुजारी तो है
पर हिटलर है !
वह बहुत खतरनाक है !
क्यों, क्योंकि -
वह खुद के लिए नहीं
आम लोगों के लिए लड़ रहा है !
ऐंसे लोग बेहद खतरनाक होते हैं
जो खुद के लिए न लड़कर
आम लोगों के लिए लड़ते हैं !
वह किसी न किसी दिन
हमारे लिए
खतरा साबित होकर रहेगा !
जितना बड़ा खतरा आज है
उससे भी कहीं ज्यादा बड़ा खतरा !
इसलिए -
जाओ, पकड़ के ले आओ उसे
ड़ाल दो, किसी अंधेरी काल कोठारी में !
और तो और, मौक़ा मिलते ही -
चढ़ा दो
उसे फांसी पर !!
उसे फांसी पर !!
4 comments:
सुंदर एवं सार्थक...
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आपका हार्दिक स्वागत है..
डॉ0 अरविंद मिश्र के ब्लॉगों की दुनिया...
बहुत सुंदर सारगर्भित रचना अच्छी लगी
उरूज पर ही रहेगी ये रुत ज़वाल की नईं ।
ग़मों को थोड़ी ज़रुरत भी देखभाल की नईं।१।
बहुत सँवार के रखता हूँ दोस्ती को मैं।
कि कोई उम्र मुहब्बत के इंतक़ाल की नईं।२।
http://www.facebook.com/#!/groups/265710970107410/
आपकी इस रचना की हमारा हरयाणा ब्लॉग पर साँझा किया गया है
http://bloggersofharyana.blogspot.in/2014/09/blog-post.html
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