Tuesday, October 25, 2011

दीवाली ...

हर दीप बने जब दीवाली
हर आँगन में हो दीवाली !


दीप दीप से ...
जगमग-जगमग जगमगाए
गाँव-गाँव, शहर-शहर
हिन्दोस्तां में दीवाली !

तेरे मन में, मेरे मन में
खुशियों की हो दीवाली !


सूना न हो अब कोई दिल
और न हो अब खामोशी
'उदय' तू भी बन जा दीप मेरे संग
जग में कर दें रौशनी !

गाँव-गाँव, शहर-शहर
हिन्दोस्तां में हो दीवाली
जगमग-जगमग जगमगाए
तेरी-मेरी ... दीवाली !!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सबके मन का अन्धतम मिटे, सबका जीवन सफल हो।

Human said...

बहुत अच्छी, भावपरक व सार्थक रचना । आपको सपरिवार दीपावली की ढेरोँ शुभकामनाएं।ईश्वर की असीम अनुकंपा हो।