महीनों से परेशान थी
माँ से मिली, तब दुःख बताया
पिता से अपनी पीड़ा बताई
सहेलियों को तो -
दर्द भरी सच्ची कहानियां
सुनने की आदत सी पड़ गई थी
कौन नहीं जानता
किसे नहीं सुनाया उसने
आस-पड़ोस में भी चर्चा होती थी
सिर्फ उसकी !
एक दो बार तो बात थाने तक भी
जा पहुँची थी
पर किसी ने उसके
दुःख
दर्द
पीड़ा
पर गंभीरता नहीं दिखाई
समझना नहीं चाहा
जानना नहीं चाहा
सुलझाना नहीं चाहा
आज
सब के सब खुद को कोस रहे हैं
पुलिस पंचनामा कर रही है -
लाश का !
जांच की जायेगी
वह मर गई, या मार दी गई !!
3 comments:
बिलकुल सही लिखा है आपने| धन्यवाद|
अति दुखद!
काला सच!
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