कभी भूखा, कभी प्यासा, समर में आगे बढ़ता है
कभी खामोश रहता है, कभी चिंघाड़ पड़ता है !
सफ़र छोटा या लंबा हो, कभी परवाह नहीं करता
दिलों में आरजू रखकर, कदम मजबूत रखता है !
नहीं रुकता, नहीं थमता, नहीं हटता, वो पीछे है
अदब से बात करता है, गजब की शान रखता है !
तेरी, मेरी, इसकी, उसकी, वो बातें नहीं करता
वतन की आन, मान, शान, पे कुर्बान होता है !
नहीं डरता फिसलने से, संभल के पैर रखता है
बहुत बूढा तो है लेकिन, जवानी जोश रखता है !!
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