"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Wednesday, October 19, 2011
चलो चलें, कहीं दूर चलें ...
चलो चलें, कहीं दूर चलें दूर गगन के पार चलें तुम चलो, हम चलें एक नया संसार गढ़ें जहां प्यार के फूल खिलें खुशियों के जहां ढोल बजें तुम चलो, हम चलें मीत बनें, हम गीत बनें चलो चलें, कहीं दूर चलें दूर गगन के पार चलें !!
1 comment:
बहुत खूब..
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