मैं, न सोचता हूँ, और न ही मानता हूँ
कि -
औरत से भी अधिक ख़ूबसूरत, है कोई और
कैसे मान लूं
जब, मुझे, उससे जियादा ख़ूबसूरत
कोई और, लगता ही नहीं है
शायद ! प्रकृति ...
प्रकृति की सुनहरी वादियाँ -
जंगल
पहाड़
घाटियाँ
नदियाँ
झरने
वर्फ
फूल
खुशबू
ऊंची-नीची हंसी वादियाँ
सब कुछ, सारा जहां
औरत के बाद, या औरत के सांथ ही
ख़ूबसूरत नजर आता है
बगैर औरत के, शायद, ये सब भी
सूने-सूने लगें
फूल भी, खुशबू भी, वादियाँ भी
शायद ! ये सब, औरत के इर्द-गिर्द ही हैं
पर
औरत से जियादा
ख़ूबसूरत, आकर्षक, चुम्बकीय नहीं हैं !!
1 comment:
आदिम विचार।
Post a Comment