Saturday, October 15, 2011

पता नहीं आज कौन भूखा रहा, नाम मेरे ...

'रब' जाने, कौन, किस पर, कब फ़िदा हो जाए
मिट्टी के खिलौने भी, किसी के काम आते हैं !
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पता नहीं आज कौन भूखा रहा, नाम मेरे
न वो जता पाए, और न हम समझ पाए !
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सच ! हमने तो, कुछ कहा ही नहीं था उनसे
'रब' जाने, अब खामोशी का सबब क्या होगा !
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आज की रात, समंदर सी चल रही है 'उदय'
कहीं ठहरी, तो कहीं बहुत हल-चल है !
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सच ! अगर वो कह भी देते कि बहुत जल्दी है
ऐंसा मुमकिन तो नहीं था कि हम पकड़ लेते !
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सच ! मुझे उनके कद की खबर तो नहीं है 'उदय'
पर इतना तो तय है कि कोई मेरे कद का नहीं है !
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कह देते, ठहर जाओ कुछ घड़ी को तुम
क्यूं न, दो चार कदम और चल लें हम !
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न रंज, न गम, न इबादत की बातें हों
मौत का कारवां है, सिर्फ मेरी बातें हों !
...
मर्जी थी उनकी, गुड नाईट कह दिया
कम से कम, जवाब तो सुनते जाते !!
...
हर एक जिंदगी की अपनी अपनी कहानी है
किसी की मीठी, किसी की कड़वी ज़ुबानी है !

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सोच समझ कर प्रेम बाटिये।