सिमटे सिमटे से
हम बैठे रहे
उंकडू !
बांहों में बांहे, डाल कर
सिमटे रहे, खुद ही से
सिमटे रहे, सिमटते रहे
न जाने
और कितना
सिमटना था, हमको, हम ही से
कडकडाती ठंड में
बैठे बैठे, उंकडू
इंतज़ार में, तुम्हारे ... !!
बांहों में बांहे, डाल कर
सिमटे रहे, खुद ही से
करते भी क्या !
धुंध बिखरा था
शीत भी, गिरने लगी थी !
धुंध बिखरा था
शीत भी, गिरने लगी थी !
सिमटे रहे, सिमटते रहे
न जाने
और कितना
सिमटना था, हमको, हम ही से
कडकडाती ठंड में
बैठे बैठे, उंकडू
इंतज़ार में, तुम्हारे ... !!
1 comment:
सम्बन्धों की शीत घिरती है तो अस्तित्व सिमट जाते हैं।
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