"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Saturday, July 2, 2011
जनलोकपाल रूपी बवंडर : खाट खड़े होने का भय !!
भईय्या प्रणाम ... अरे अनुज, बहुत दिन बाद, सब खैरियत तो है ... हाँ भईय्या, बस एक छोटी सी उलझन ... हाँ, हाँ, तुझे देख कर ही समझ गया था कि कुछ न कुछ, बता क्या बात है ... भईय्या, अभी जनलोकपाल रूपी बवंडर उठा हुआ है अपने देश में, उसे देख कर बड़े से बड़े दिग्गज भी अपनी आँखें मूँद ले रहे हैं ... ठीक ही तो कर रहे हैं किसी को अपनी आँखें फुडवानी हैं क्या ! ... पर भईय्या, ऐसे काम कैसे चलेगा, लोग कब तक आँखें मूंदकर काम चलाएंगे ... बात तो सही ही कह रहा है, आँखें मूँद लेने से काम तो चलने वाला है नहीं, और लोग आँखें मूंदेंगे भी तो भला कब तक, आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, कभी न कभी तो सामना करना ही पडेगा, लोग ऐसे ही छिपते-छिपाते, भागते-भगाते रहेंगे तो जनता इनको सबक सिखा ही देगी, और जब जनता सबक सिखाएगी तब इन सबके लेने के देने पड़ जायेंगे, इसलिए भलाई इसी में है कि बवंडर का सामना करें ... पर भईय्या, कुछ लोग मजबूरी में सामना तो कर रहे हैं पर टाल-मटोल करने जैसा ... हाँ, सही कह रहा है, अब इनके पास टाल-मटोल करने के अलावा इस समस्या से निपटने का कोई हल भी नहीं है, अगर ये सिविल सोसायटी द्वारा तैयार किये गए जनलोकपाल रूपी मसौदे को हू-ब-हू मान लेते हैं तो लगभग सबकी तो नहीं, पर बहुतों की खटिया खड़ी होना तय है, और कौन चाहेगा खुद की खटिया खड़ी करवाना, वो तो चाहेंगे ही कि जितने दिन बिछी हुई है बिछी रहे उनकी खाट और फरमाते रहें आराम ... पर भईय्या इसका कोई न कोई उपाय तो होगा ही ... हाँ है न, उपाय क्यों नहीं है, जरुर है, पर उपाय करने को कोई तैयार नहीं है सब के सब इस चक्कर में हैं कि इस समस्या को किसी भी तरह टाला जाए, और ये टली रहे, इसलिए ही रोज कोई न कोई नया नया वक्तव्य ठोक देते हैं, कोई कहता है हम प्रधानमंत्री को दायरे में रखने को तैयार हैं पर न्यायपालिका को नहीं, तो कोई कहता है कि हम संसदीय कार्यप्रणाली व सांसदों को इससे बाहर रखना चाहते हैं क्योंकि इससे लोकतंत्र की मर्यादा बनी रहेगी, तो कोई कहता है कि हम प्रधानमंत्री को इसके दायरे में रखने के पक्ष में नहीं हैं, कुल मिला कर मसला ये है कि रोज कुछ न कुछ नया सुनने -पढ़ने को मिल जाएगा, मतलब ये है कि किसी भी तरह यह बवंडर इधर-उधर टला रहे ... पर भईय्या, इसका कोई न कोई हल तो निकालना ही पडेगा ... हाँ, हल तो निकालना ही पडेगा, नहीं तो ये लोग खुद ही हल के रूप में नजर आने लगेंगे और जनता ... !!
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