Wednesday, May 25, 2011

एक उम्मीद थे ... बाबू जी !

कुदरत का विधान है
जो आया है, उसे जाना ही है
आज उनकी
तो कल किसी की
फिर कल किसी की
एक एक कर, हम सभी की
बारी आनी है ... जाने की !

एक जहां से
दूसरे जहां की ओर
उस जहां में ...
जहां से -
कोई लौटा नहीं है !

थे जब तक, एक साये की तरह थे
जाना था ... चले गए ... बाबू जी !

चिलचिलाती धूप में
शीतल छाँव थे ... बाबू जी
कडकडाती ठण्ड में
गर्म साँसें थे ... बाबू जी
तूफानी बारिश में
बरगद का दरख़्त थे ... बाबू जी !

क्या थे, क्या नहीं थे !
हर घड़ी, हर क्षण, हर पल
एक आस ...
एक सहारा ...
एक उम्मीद थे ... बाबू जी !!

13 comments:

संगीता पुरी said...

अपने पिता को विदा करना इतना आसान भी नहीं .. भूलने में वक्‍त लगेगा .. पिताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि !!

मनोज कुमार said...

भावभरी पोस्ट।

kshama said...

कुदरत का विधान है
जो आया है
उसे जाना ही है
आज उनकी, तो कल किसी की
फिर कल किसी की
एक एक कर, हम सभी की
बारी आनी है ... जाने की
एक जहां से
दूसरे जहां की ओर
उस जहां में ... जहां से
कोई लौटा नहीं है
Kasak bharee rachana....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मन के भावों को बहुत श्रद्धा से लिखा है ...

प्रवीण पाण्डेय said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि, संबल बनाये रखिये।

Apanatva said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि, संबल बनाये रखिये।

Apanatva said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि, संबल बनाये रखिये।

Apanatva said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि, संबल बनाये रखिये।

Apanatva said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि, संबल बनाये रखिये।

संजय भास्‍कर said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि,

पंकज मिश्रा said...

किसी भी अपने की याद आसानी से नहीं जाती। और फिर अपना अगर जनक हो तो बड़ा दुश्कर काम होता है। आदरणीय बाबूजी को मेरी श्रद्धांजलि।


मैं इस ब्लॉग को फालो कर रहा हूं। अगर आप चाहे तो ऐसा ही कर सकते हैं।

Pratik Maheshwari said...

यह तो ज़िन्दगी का दस्तूर है जो बदस्तूर चला जा रहा है और हमें इसके साथ चलना होगा..
अगर चलना बंद हो गया तो बाबूजी के कई सपनों पर प्रश्न चिन्ह लग जाएँगे..
आशा है कि आप दृढ़ता के साथ आगे बढ़ते रहेंगे और अपने जीवन और अपने बाबूजी के परम आत्मा को शान्ति देंगे..

श्रद्धांजलि स्वीकारें...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मां-बाप का साया ही बहुत होता है...इसलिये माता-पिता का बिछोह अगाध दुखदाई होता ही है..