नया साल है
बहुत मारा-मारी है
क्या करें
कुछ समझ नहीं आता
एक मित्र
कह रहा है चलो
जंगल चलते हैं
पी-खा कर आयेंगे
खूब मौज-मस्ती
जी भर
नांचेंगे-गायेंगे
जाम से जाम
लड़ाएँगे, छक कर
आकर सो जायेंगे !
दूसरा मित्र
बाहर गाडी में
इंतज़ार कर रहा है
कह रहा है
नया साल है
लांग ड्राइव पर
निकल चलते हैं
खूब छककर
जी भर के
खायेंगे-पियेंगे
गिले-सिकबे
भूल-भाल कर
पीना-खाना
छोड़-छाड़ कर
कल से एक
नया जीवन जियेंगे !
एक और मित्र
बहुत व्याकुल-बेचैन
है कल से
कहता है यार
बहुत हो गया
सादा-सादा जीवन
चलो कुछ
माल-टाल लेकर
फ़ार्म हाऊस
निकल चलते हैं
खूब रंग-रलियाँ
कूदा-कादी करेंगे
छक छक कर
मौज-मस्ती करेंगे
कल नया साल है
कल का कल देखेंगे !
क्या करें
किसकी सुनें
समझ नहीं आता
नया साल आ रहा है
या साल जा रहा है
स्वागत करना है
या विदा करना है
दुविधा की घड़ी है
क्या छोड़ना है
क्या प्रण करना है
अब आप ही कुछ
बताओ, सुझाओ, समझाओ
ये कैसा नया साल है !!
13 comments:
निर्णय तो आपका ही रहेगा.....
दुविधा कैसी....
"सच मानिए उलझने सुलझ जाएँगी सारी,
आप बस रिश्ता इंसानियत का निभाते जाइए...
आशा है आप ब्लॉग पर पधारते रहेंगे...
साधुवाद.
आदमी का जंगलीपन उभरकर बाहर आ सके इसलिए मनाओं नव वर्ष। आदमी कहीं सुधर ना जाए, वह संस्कारित ना हो जाए इसलिए रोज ही आधुनिक त्योहार मनाओ।
जब मौज मस्ती ही करनी है तो नये वर्ष की क्या आवश्यकता है।
अब है तो जैसा ्भी है.
Naya saal bahut mubarak ho!
विचारणीय कविता.
अपनी रचनाओं से हमलोगों को अमीर बनाते र्हिए ,बस। नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ।
आपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
हमे तो कल ओर आज मे सिर्फ़ एक फ़र्क लगा हे, कल हवा बिलकुल साफ़ थी आज हवा मे कल के पटाखो की गंध समाई थी
bas bhai ji , sirf do din men hi sare josh thande padne vale hai aur fir vahi roj ka rona......achchhi prastuti.
sochne ko vivash kar deti hai apki rachna.
achchhi abhvyakti.
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें
Samay to aata jata rahega .. kya sochna ...
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