"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Wednesday, December 15, 2010
बैंकाक-पटाया टूर !
क्या उपेन्द्र भाई बहुत खुश नजर आ रहे हो, क्या बात है ... कुछ ख़ास नहीं सुरेन्द्र भाई ... नहीं कुछ तो ख़ास जरुर है चेहरे के हाव-भाव से साफ़ नजर आ रहा है ... अरे यार तीन दिन बाद मेरा जन्म दिन है "बैंकाक-पटाया" जा रहा हूँ इस बार जन्मदिन वहीं मनाऊंगा ... बहुत बढ़िया, ये हुई न बात, परिवार सहित जा रहे होगे ... नहीं यार मिसेस को लेकर जाऊंगा तो वो मजा नहीं आयेगा, तू तो जानता है "बैंकाक-पटाया" के मजे ... हाँ यार सुना जरुर हूँ पर कभी गया नहीं तो विशेष जानकारी नहीं है, हाँ इतना जरुर सुना है कि वहां जाकर लोग खूब मजे करते हैं पर अपनी किस्मत कहाँ अभी बैंकाक जाने की ... चल यार तू भी चल, साथ साथ मजे कर आयेंगे ... नहीं यार मैं तो नहीं जा पाऊंगा, पर एक बात कहूंगा यार भाभी जी को भी साथ ले जा, जन्मदिन है साथ साथ मौज मस्ती, घूमना-फिरना हो जाएगा, उन्हें भी अच्छा लगेगा ... तू भी यार, मजा किरकिरा करना है क्या, वहां रोज नया नया "केक" काटूंगा और खूब छक छक कर खाऊंगा ... यार तू तो फिर भी नया नया "केक" खाने का जुगाड़ कर ही लेगा, हो सकता है भाभी को भी एकाद बार "सैंडविच" का मजा मिल जाए ... अबे साले ... ( उपेन्द्र जब तक आगे कुछ बोलता तब तक सुरेन्द्र हंसते हुए वहां से भाग गया )... !!
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9 comments:
सुना तो ऐसा ही है कि वहां पत्नी के साथ नहीं जाना चाहिए ।
केक न भी खाएं , भिनभिनाती हुई मक्खियाँ तो नज़र आयेंगी न ।
भाई अपने राम तो एक दर्जन मित्रों सहित सपत्निक जोडियों के साथ ही गये थे.
करारा व्यंग।
उदय जी आप भी कमाल करते हे, यह तो वोही बात हुयी कि होटल मे खाने के लिये जाओ, साथ मे घर से टिफ़िन भी संग ले जाओ,
दे मार
लिखी तो हकीकत ही है ...
पर सोच रही हूँ कि यदि यही बात दो महिला मित्र आपस में कर रही होतीं तो आप सबकी क्या प्रतिक्रिया होती ?
kya baat hai !!
इसे हास्य पोस्ट कहूँ या सेक्स पोस्ट,समझ नहीं पा रहा हूँ.
@ Kunwar Kusumesh
... shabdon ki kaareegiree hai ... sab-kuchh samaahit hai !!!
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