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तुम्हारा जाना रश्म-ओ-रिवाज है, तो हंस के विदा करता हूँ
पर हर शाम बिना दस्तक के, मेरी यादों को सजाते रहना !
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तुम्हारा जाना रश्म-ओ-रिवाज है, तो हंस के विदा करता हूँ
पर हर शाम बिना दस्तक के, मेरी यादों को सजाते रहना !
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14 comments:
आप क्यों ऐसे मूड में हैं>..
@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
... bas yun hee ... ek mitra kaa dukh dekhaa nahee jaa rahaa ... !!!
हा हा हा बहुत खूब।
साली की शादी की शुभकामनाये
@deepak saini
deepak ji ... mujhe badhaai mat deejiye ... bas yun hi ... ek mitra kaa dukh dekhaa nahee jaa rahaa ... !!!
:):) बहुत बढ़िया ..
उदय भैया क्या हुआ
ऐसा है क्या वाह
नेटकास्टिंग:प्रयोग
लाईव-नेटकास्टिंग
Editorials
ओह हो हो हो हो
lo ham bhi aaj aa hi gaye .
अपनी पोस्ट का उद्घाटन भी हुआ तो राम से हुआ , केवल राम से हुआ .
उत्तम , अति उत्तम . शुभ लक्षण , बड़ा अच्छा शकुन है .
और दूसरे भाई एक मुस्लिम हैं . यह भी अच्छा है . अपना ब्लॉग हिन्दू मुस्लिम सबके बीच लोकप्रिय होगा .
पर हर शाम बिना दस्तक के, मेरी यादों को सजाते रहना !
मीठा सच ....बहुत खूब
चलते -चलते पर आपका स्वागत है ....
अहा! क्या बात है। हर शाम .... सजाते रहना। वाह।
..हा..हा..हा..एक मित्र!
..हा..हा..हा..एक मित्र!
हादसा यह सबके साथ ही होता है।
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