हम सरकार हैं
हमारी सरकार है
हमें मतलब है
पत्थरों पे शिलान्यास से
काम पूर्ण हो या न हो
तुमको क्या !
पहली क्या ! दूसरी
पंचवर्षीय चल रही है
शिलन्यासी पत्थरों पे
सुनहरे अक्षरों से
हमारी गाथा छप रही है !
तुमको क्या !
लोकार्पण के लिए
औधोगिक संस्थान
लेखकों की किताबें
मेले-मंदिर-शोरूम जो हैं
हम लोकार्पण करते रहेंगे
तुमको क्या !!!
12 comments:
bilkul hamako bhi kyaa
ek baar bihaar ki tarah ho jaaye bas
bilkul sahi...achhi kavita.
बहुत सही कहा ....।
आप लिखिते रहिये,
हम पढते रहेगें
टिप्पणी करते रहेगें
किसी को क्या
राजनीती पार्टियों पर अच्छा चोट किया है कविता के द्वारा
dabirnews.blogspot.com
सच तो यही है। शिलान्यास हो रहे हैं, प्रगति के दावे भी। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार::मदिरा
साहित्यकार-श्रीराम शर्मा
व्यवस्था पर करारा प्रहार्…………बिल्कुल सही कहा।
जो भी हो जाये, उपकार मान लिया जाये।
सही बात है जो भी ..हमको क्या.
बहुत सटीक ...यही व्यवहार है व्यवस्था का ...
केवल कविता ही नहीं ....विद्रूप सत्य को दिखाती रचना ..
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