Tuesday, November 30, 2010

तुमको क्या !

हम सरकार हैं
हमारी सरकार है
हमें मतलब है
पत्थरों पे शिलान्यास से
काम पूर्ण हो या हो
तुमको क्या !

पहली क्या ! दूसरी
पंचवर्षीय चल रही है
शिलन्यासी पत्थरों पे
सुनहरे अक्षरों से
हमारी गाथा छप रही है !
तुमको क्या !

लोकार्पण के लिए
औधोगिक संस्थान
लेखकों की किताबें
मेले-मंदिर-शोरूम जो हैं
हम लोकार्पण करते रहेंगे
तुमको क्या !!!

12 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bilkul hamako bhi kyaa

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ek baar bihaar ki tarah ho jaaye bas

arvind said...

bilkul sahi...achhi kavita.

सदा said...

बहुत सही कहा ....।

Deepak Saini said...

आप लिखिते रहिये,
हम पढते रहेगें
टिप्पणी करते रहेगें
किसी को क्या

Tausif Hindustani said...

राजनीती पार्टियों पर अच्छा चोट किया है कविता के द्वारा
dabirnews.blogspot.com

मनोज कुमार said...

सच तो यही है। शिलान्यास हो रहे हैं, प्रगति के दावे भी। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार::मदिरा
साहित्यकार-श्रीराम शर्मा

vandana gupta said...

व्यवस्था पर करारा प्रहार्…………बिल्कुल सही कहा।

प्रवीण पाण्डेय said...

जो भी हो जाये, उपकार मान लिया जाये।

shikha varshney said...

सही बात है जो भी ..हमको क्या.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सटीक ...यही व्यवहार है व्यवस्था का ...

Amrita Tanmay said...

केवल कविता ही नहीं ....विद्रूप सत्य को दिखाती रचना ..