Friday, October 8, 2010

छत्तीसगढ़ : नक्सली मंसूबे कुछ और ही हैं ?


छत्तीसगढ़ राज्य जो शान्ति, अमन, चैन, भाईचारे के प्रतीक के रूप में जाना-पहचाना जाता रहा है किन्तु कुछेक वर्षों से नक्सली गतिविधियों के कारण पूरे देश में सुर्ख़ियों के मामले में अब्बल नंबर पर चल रहा है, सुर्ख़ियों में हो भी क्यों ! आये-दिन जो नक्सली वारदात घटित हो रही हैं ! नक्सली वारदात भी ऐसी नहीं कि फलां गाँव में नक्सली देखे गए, फलां स्थान पर नक्सली मीटिंग आयोजित हुई, फलां रोड पर पेड़ काट कर मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया, फलां स्थान पर किसी फारेस्ट गार्ड को धमकी दी गई, फलां स्थान पर नक्सली पर्चे चस्पा पाए गए, फलां गाँव में शासन विरोधी नारे सुने गए, फलां स्थान पर नक्सली साहित्य पाया गया बगैरह बगैरह ... इस तरह की छोटी-मोटी खबरें पंद्रह-सत्रह साल पहले सुनने देखने में आती थीं किन्तु आज नक्सली वारदात के नाम पर दिल दहला देने वाली घटनाएं सुनने को मिलती हैं, सीधे-सीधे न्यूज चैनल्स पर ब्रेकिंग न्यूज चलती है बस्तर के दंतेवाडा क्षेत्र में बारूदी सुरंग विस्फोट में सत्रह जवान मारे गए, बीजापुर क्षेत्र के फलां गाँव में सात जवानों को नक्सलियों ने मार गिराया, पुलिस केंप पर नक्सलियों की पिछले पांच घंटों से फायरिंग जारी, नक्सली-पुलिस इनकाउन्टर में तीन पुलिस कर्मी मारे गए, राजनांदगांव में पुलिस कप्तान नक्सली वारदात में शहीद हुए बगैरह बगैरह

नक्सली खौफ का साया कुछेक वर्षों पहले छतीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के कुछेक इलाकों में देखा सुना जाता था किन्तु समय के बदलाव के साथ नक्सली दिन-व्-दिन मजबूत होते चले गए, और आज स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर न्यायधानी बिलासपुर भी नक्सली खौफ से अछूती नहीं है जहां नक्सली गतिविधियाँ परिलक्षित हो चुकी हैं ! सोचने वाली गंभीर बात तो ये है कि जब रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग जैसे घनी आबादी वाले मैदानी इलाकों में नक्सली गतिविधियाँ परिलक्षित हो रही हैं तो संपूर्ण छत्तीसगढ़ का क्या हाल होगा ! यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों में नक्सली अपने पैर पसार चुके हैं और अपनी गतिविधियों को धड़ल्ले से संचालित कर रहे हैं ! ये और बात है कि कुछेक जिलों में नक्सलियों ने किसी दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम नहीं दिया है किन्तु उन्होंने यह छाप अवश्य छोड़ दी है कि नक्सली आवाजाही जारी है, यदि नक्सली गतिविधियों को प्राथमिक स्तर पर ही रोकने का प्रयास नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब मैदानी इलाकों में भी गंभीर घटनाएं सुनने मिलें !

वर्त्तमान समय में छत्तीसगढ़ राज्य में सिर्फ बस्तर सरगुजा क्षेत्र नक्सल प्रभावित नहीं रहा वरन संपूर्ण छत्तीसगढ़ नक्सलियों का गढ़ बन गया है, लगभग सभी जिलों में नक्सली गतिविधियाँ परिलक्षित हो रही हैं रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा, महासमुंद, धमतरी, जांजगीर, रायगढ़ ऐसे मैदानी क्षेत्र वाले जिले हैं जहां नक्सलियों को घुसपैठ करने शरणस्थली बनाने में काफी मसक्कत का सामना करना पड़ सकता था किन्तु इन क्षेत्रों के जंगल पहाडी इलाकों में जाहिरा तौर पर जो नक्सली मूवमेंट परिलक्षित हो रहा है उसे देख कर तो ऐसा प्रतीत होता है कि नक्सली मंसूबे कुछ और ही हैं ? नक्सली मंसूबे भले जो भी हों, पर यह तो तय है कि आज नक्सली अपनी योजनाओं में सफल हैं और बेख़ौफ़ छत्तीसगढ़ में गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं, कल कोई नक्सल समर्थक या बुद्धिजीवी नक्सली विचारधारक यह टिप्पणी कर दे कि छत्तीसगढ़, छतीसगढ़ नहीं वरन नक्सलगढ़ है ! तो शायद हम निरुत्तर हो जाएं क्योंकि यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ को नक्सलियों ने अपना गढ़ बना लिया है !!

5 comments:

मनोज कुमार said...

यह सच में एक कड़वा सच है! पता नहीं कैसे औब इससे निज़ात पाएंगे हम। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

फ़ुरसत में …बूट पॉलिश!, करते देखिए, “मनोज” पर, मनोज कुमार को!

36solutions said...

सारगर्भित आलेख.

Apanatva said...

:(

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

सार्थक पोस्ट के लिए सदर बधाई स्वीकार करें........

BASTERIYA said...

नक्सली समस्या पर चिंतन करने के लिए धन्यवाद. बहुत अच्छा लेख लिखा हैं.