Sunday, October 10, 2010

क्यों छोटे मियाँ, सन्नाटे में क्यों बैठे हो !

साकी जिस दिन से मैं, तेरे मैकदे को सलाम करके आया हूँ
'उदय' जानता है, भोर का सूरज एक अरसे बाद देख पाया हूँ

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क्यों छोटे मियाँ, सन्नाटे में क्यों बैठे हो
क्या आज फिर किसी हसीना ने, मुस्कुरा कर देखा है

7 comments:

समय चक्र said...

bahut sundar vaah ... badhiya bhavabhivyakti...

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह

राज भाटिय़ा said...

वेरी नाईस जी वाह वाह !!!

जय हिन्द said...

!! जय हिन्द !!

रचना दीक्षित said...

वाह क्या बात है !!!!!

Anonymous said...

वाह वाह... क्या बात..
बहुत खूब...
सुनहरी यादें ....

दिगम्बर नासवा said...

वाह क्या बात है ....