साकी जिस दिन से मैं, तेरे मैकदे को सलाम करके आया हूँ
'उदय' जानता है, भोर का सूरज एक अरसे बाद देख पाया हूँ ।
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क्यों छोटे मियाँ, सन्नाटे में क्यों बैठे हो
क्या आज फिर किसी हसीना ने, मुस्कुरा कर देखा है ।
7 comments:
bahut sundar vaah ... badhiya bhavabhivyakti...
वाह
वेरी नाईस जी वाह वाह !!!
!! जय हिन्द !!
वाह क्या बात है !!!!!
वाह वाह... क्या बात..
बहुत खूब...
सुनहरी यादें ....
वाह क्या बात है ....
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