Tuesday, September 28, 2010

गरीबी ...

आज गरीबी को
दाने दाने के लिए, भटकते देखा है !

धूप रही, बरसात रही
पर गरीब को
पीठ पे बोझा, ढोते देखा है !

आज गरीबी को, खुद की हालत पे
गुमसुम गुमसुम, रोते देखा है !

दो रोटी के
चार टुकडे कर
बच्चों को, पेट भरते देखा है !

कहाँ दवा
दुआओं पर ही, बच्चों का बुखार
ठीक होते देखा है !

घाव नहीं, पर भूख से
बच्चों को
बिलखते देखा है !

बारिस से, भीग गया कमरा
दीवालों से सटकर
गरीबी को, झपकियाँ लेते देखा है !

भूख बला थी, लोगों को
जीते जी
भूख से मरते देखा है !

और बचा था, कुछ देखन को
तो जिन्दों को
मुर्दों-सा, जीवन जीते देखा है !

आज गरीबी को
सड़क पर, दम तोड़ते देखा है !!

20 comments:

SATYA said...

बहुत सुन्दर रचना

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अकेला कलम

आपका अख्तर खान अकेला said...

jnaab bhaai jaan kdve sch men duniyaa ki hqiqt jin alfaazon men aapne pesh ki hen voh schchaayi is desh ki tqdir he or ise hi hm bdlen yhi bs hmaari aek aag hona chaahiye jo ho bhukhaa use mile roti jo ho nngaa use mile kpdaa or jo ho beghr use mile ghr bs ab hmaari yhi aek aavaaz hona chaahiye. akhtar khan akela ktoa rajsthan

Unknown said...

दो रोटी के
चार टुकडे कर
बच्चों को पेट
भरते देखा है

vandana gupta said...

sach kaha.

Unknown said...

घाव नहीं
पर भूख से
बच्चों को
बिलखते देखा है

बहुत खूब रचना है साब!!

kshama said...

और बचा था
कुछ देखन को
तो जिन्दों को
मुर्दों सा
जीते देखा है

Saaree rachana dard se sarbaar hai.Kaisa bhayanak saty ujagar hua hai.

प्रवीण पाण्डेय said...

मार्मिक पक्ष त्यक्तमना समाज का।

डॉ टी एस दराल said...

मार्मिक सत्य ।
सुन्दर लेखन ।

शरद कोकास said...

अच्छी कविता

अंजना said...

सुन्दर रचना.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही मार्मिक....

Shah Nawaz said...

बहुत ही भावपूर्ण रचना है!



ज़रा यहाँ भी नज़र घुमाएं!
राष्ट्रमंडल खेल

rajesh singh kshatri said...

Sundar...

ZEAL said...

.

आज गरीबी को
खुद की हालत पे
गुमसुम गुमसुम
रोते देखा है..

Beautiful presentation of poverty !

.

babanpandey said...

garibi ..ek abhishap hai ...magar ..aapki kavita padhkar ..shaayad kuch log ...sahanubhuti rakhe garibo se

Naman said...

aap ki sabdon ki jaal mein main ulajh ki rah jaata hoonn kuch kahna to chaha per dimag ne saath dena band kar diya

कविकुमार said...

Bohot khub bandhu

Unknown said...

नेताओं को राजनीति गरीबों पे करते देखा।

Rahul kumar said...

बहुत ही सुन्दर रचना

Rahul kumar said...

बहुत ही सुन्दर रचना