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जब से देखा है आईना, चहरे से सुकूं गायब है
शायद आज वह खुद पे हतप्रभ हुआ है
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जब से देखा है आईना, चहरे से सुकूं गायब है
शायद आज वह खुद पे हतप्रभ हुआ है
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6 comments:
बहुत सुन्दर लिखा है आपने! बहुत बढ़िया लगा!
बेहतर की वक्त पर शिनाख्त हो गयी 'मजाल',
कईयों की वरना मुगालते जिंदगी भर नहीं जाती
बेहतर की वक्त पर शिनाख्त हो गयी 'मजाल',
कईयों की वरना मुगालते जिंदगी भर नहीं जाती
@Majaal
... क्या बात है मजाल मियां, बधाई !!!
बहुत खूब।
अपना असली चहरा देख लिया होगा ... लाजवाब शेर है ...
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