Tuesday, June 15, 2010

पुराना शेर - नया शेर ... "हिन्दी ब्लागिंग" का भविष्य !

आदरणीय साथियों एक तरह से मैंने सक्रिय ब्लागिंग को अलविदा सा कह दिया है ... आप समझते हैं सक्रिय ब्लागिंग का तात्पर्य ... पर मेरा लेखन जारी रहेगा ... कहीं कहीं मुझे यह अफ़सोस जरुर होगा कि मैं आप लोगों के ब्लाग व प्रसंशनीय पोस्ट को पढने पहुंच पा रहा हूं अथवा नहीं ...

... ब्लागवाणी व चिट्ठाजगत के अनियमित व अप्रासंगिक नियमों / नीतियों पर जिनके कारण पोस्टों / ब्लागों का अव्यवहारिक उतार-चढाव होता है जिसके विरुद्ध न सिर्फ़ मैंने वरन ढेरों ब्लागरों ने अपने अपने ढंग से विरोध दर्ज कराया है ... पर कुछ महानुभाव न जाने क्यों उनके समर्थन में खडे हो जाते हैं ... आज बहुत लोग हिन्दी के प्रचार व ब्लागिंग के हित की बातें करते हैं ... क्या ऎसे अव्यवहारिक सिस्टम में ब्लागिंग सही मुकाम पर पहुंच पायेगी ?!?

... जिस प्रकार गंदी राजनीति व भ्रष्टाचार तंत्र ने आम जन का जीना दुभर कर रखा है बिलकुल वैसा ही भविष्य मुझे हिन्दी ब्लागिंग का नजर आ रहा है ... यदि आज से इसे सुधारने का प्रयास नहीं किया गया तो निश्चिततौर पर "हिन्दी ब्लागिंग" .....!!!!!!!!!!!

ब्लागिंग के वर्तमान तौर-तरीकों पर मेरे दो शेर प्रस्तुत हैं :-

एक पुराना शेर
चमचागिरी का दौर बेमिसाल है
चमचों-के-चमचे भी मालामाल हैं।
.....................................................
एक नया शेर
तेरी चमचागिरी को देखकर 'सलाम' करता हूं
क्या 'हुनर' पाया है एतराम करता हूं।

12 comments:

संजय कुमार चौरसिया said...

udayji,

bahut sahi baat ki aapne

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

सूर्यकान्त गुप्ता said...

वाह वाह क्या शेर मारा है! उदय भाई अरे आप का मोडरेशन या मोडिफ़िकेशन पूरा हुआ कि नही। जैसा कि मेरी सूची से फिर अन्तर्ध्यान हो गये हैं । इस ब्लोगिन्ग की दुनिया मे एक सलाह यह रहेगी कि इसके लिये बाइलाज़ बनाये जाँएं।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वाह वाह वाह

शेर नहीं भाई बब्बर शेर है
एक शेर नहीं सवा शेर है।

आभार

Udan Tashtari said...

चलिए, इस बार 'नो कमेंट'-जैसा आपको उचित लगे!

अनामिका की सदायें ...... said...

aapke sher pasand aaye.

36solutions said...

बढि़या शेर उदय जी, समझ में नहीं आता ये राजनीति हमारे ब्‍लॉग जगत में कहां से घुस आई. .

स्वामी बाबा ललितानंद तीर्थ जी के शरण में जाने से ही इन सबसे छुटकारा मिल पायेगा अभी वे ब्‍लॉग खेती के लिए 28000 रू. में एक जोड़ी बैल खरीद रहे हैं.

सचमुच ये ब्‍लॉग भी खेती है... और यह बात मसखरी नहीं.

आप चिंता छोडे़ मुझे आपकी त्रिपदम-चतुष्‍पदम कवितायें बहुत पसंद हैं समय मिलेगा तो उसे यहां प्रस्‍तुत करते रहियेगा.

Dev said...

हम आपसे यही आशा करेंगे ....की...आप आपने विचारों को हम सब के बीच प्रस्तुत करते रहेंगे ......जैसा की अभी तक आप करते आये है ......आपका पोस्ट जब तक न पढ़े तब तक कुछ अधूरा -अधूरा सा लगता है ,

arvind said...

bilkul
sahi likha hai lekin ise sakaaratmak nahi maanaa jaayega., bloging ganda ho gayaa hai to use saaf
kijiye. acchhhaa banayye...aap swayan shuruaat karen,... sacche blogger ko protsaah

it karen, gande ko hatotsaahit.... blogging apne aap acchha ho jaayegaa.

AKHRAN DA VANZARA said...

शे'र अच्छे है..
अरविन्द जी की सलाह पर भी गौर फरमाईयेगा ...!!!

--- राकेश वर्मा

दिगम्बर नासवा said...

तेरी चमचागिरी को देखकर 'सलाम' करता हूं
क्या 'हुनर' पाया है एतराम करता हूं ..

स्वामी हो कर आचार्य हो कर ऐसी बातें ... निराश न होवे लिखना जारी रखें ...

आचार्य उदय said...

आईये जानें ..... मैं कौन हूं !

आचार्य जी

मनोज कुमार said...

बेहतरीन। लाजवाब।