चलिये आज शुरु करते हैं फ़िर से ... फ़िजूल की बहस ... पर जरुरी है ... जरुरी इसलिये कि आम चिट्ठाकारों को भी इसकी जानकारी भलीभांति होनी चाहिये कि ... क्या चिट्ठे चर्चाकारों के ब्लाग ही टाप पर हैं ? ... या चिट्ठे चर्चाकारों से जुडे लोगों के ब्लाग ही टाप पर हैं ? ... या जिनके चार-पांच ब्लाग हैं वे ही टाप पर हैं ?
... लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर एक समान ही हैं ... वो इसलिये चिट्ठों के चर्चाकार ... उनके हिमायति अर्थात शुभचिंतक ... बडे भईया या छोटे भईया ... चाचा-भतीजा ... भाई भतीजा वाद ... या स्वंय मठाधीष (जिनमें चार-पांच चिट्ठों को मिलाकर बने मठ) ... गुटवाजी व शामिल गुट्वाज .... और भी गणितग्य शायद छूट रहे होंगे क्योंकि मुझे ज्यादा अनुभव नहीं है ...
... लगभग सभी टाप चिट्ठे इनमे से ही किसी न किसी श्रेणी में आते हैं .... इसलिये जैसे ही कहीं से भी विरोध का स्वर उठता है कुछ शुभचिंतक समर्थन में आ खडे होते हैं ... विरोध का स्वर ठंडे बस्ते में चला जाता है ...
... लगभग चिट्ठे ( कुछेक को छोडकर ) गणित के सूत्र = हवाले-घोटाले के कारण ही टाप पर हैं ... यदि हवाले-घोटाले का सिस्टम कुछ पल के लिये हटा दिया जाये अर्थात पुराने जितने भी हवाले-घोटाले से संबधित लिंक हैं उनको हटा दिया जाये तो ... न जाने कितने ब्लाग धराशायी हो जायें ... और जब वो जमीन पर दिखें तो आप खुद समझ सकते हैं .... क्या हालत होगी ? .... फ़िलहाल तो फ़र्जीवाडा जारी है ... जय हो फ़र्जीवाडा की ..... !!!!!
22 comments:
lagta toh aisa hi hai bhai !
lagta toh aisa hi hai bhai !
"बहुत बढ़िया ,फर्जीवाड़ा भी एक तरह का कर्म है..."
आपको फर्जीवाड़े के बारे में इतनी चिंता करते देखने पर लगता है कि यदि आप न होते तो पता नहीं ब्लौगजगत किस गड्ढे में पड़ा होता.
@निशांत
अभी कहाँ है? :)
वैसे ये तो कला है...
koi kuch bhi kah lo kisi par fark nahi padta sab chikne ghade hain.
perplexing
बहुत बढिया।
आइये जाने..फर्जीवाड़ा क्या है?
---आचार्य जी.
are shyam bhai aapbhi dhokar par gaye ho...farjiyo ke peeche.
लगता तो कुछ ऐसा ही है
@govind
...तुम कम्पलीटली "फ़र्जी डाट काम" हो ... क्यॊ बे-वजह आचार्य जी से उलझने का प्रयास कर रहे हो ... वो एक-आध तुम्हें कहीं से बाल उखाड कर दे देंगें तो तुम्हारा सारा जीवन उसे सीधा करने में गुजर जायेगा ....उनसे दूर रहो, इसी में तुम्हारी भलाई है ...!!!!
lo ji aaj to aap bhi top chitthon me shaamil ho gaye
फ़िजूल की नहीं बडी रोचक बहस छेड़ी है ..उदय भाई
जय हो!!
uday ji gut to banate bigadte rahate hai. hame to nirgut rahana hi achchha lagta hai. na koi guru na chela fir bhi jinda hain is blogjagat me. kya fark padata hai blogging hi to hai. jo log asali duniya me rahate hain aur vahan jo kuchh bhi karte hain use hi yahan bhi karte hai. chalane dijiye jaisa hai.
uday ji gut to banate bigadte rahate hai. hame to nirgut rahana hi achchha lagta hai. na koi guru na chela fir bhi jinda hain is blogjagat me. kya fark padata hai blogging hi to hai. jo log asali duniya me rahate hain aur vahan jo kuchh bhi karte hain use hi yahan bhi karte hai. chalane dijiye jaisa hai.
sir ye farjiwada hame hi to mitana hai....
इसमें आपने अपनी पैनी निगाह ख़ूब दौड़ायी है। साधुवाद।
गुरु बेहद बारीक निगाह डालते हो...आप तो !
काफी हद तक सहमत हूँ आपसे जी.
वैसे भी चाट भण्डार पर भीड़ लगाने की आदत है हम भारतीयों की ....
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