Friday, April 9, 2010

.......अलविदा ब्लागिंग !!!

... हमारे भाई ललित शर्मा जी ने अचानक ब्लागिंग को अलविदा कह दिया .... क्यों, किसलिये ..... कुछ तो बात होगी ही, पर मामुली नहीं होगी .... वो इसलिये हंसमुख , सहयोगी, मिलनसार, जिंदादिल व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति छोटी-मोटी बातों पर ऎसा कठोर कदम उठाने वाला तो नहीं है ..... कुछ न कुछ ऎसा जरुर हुआ है किसी "दिल में बसने वाले व्यक्ति ने ही दिल को दहलाया" है .... पर ये यकीं है ये नाराजगी जल्द ही दूर हो जायेगी वो इसलिये "प्यार" में तो टकराव हो ही जाता है पर प्यार खत्म नहीं होता .....

.... दोस्ती-प्यार .... दोनों ही बडी खतरनाक चीजें हैं इन्हे मैं "चीजें" इसलिये कह रहा हूं दोनो मे ही "टूटने" का भाव रहता है छोटे-मोटे धक्के मे ही टूटकर बिखर जातीं हैं ...... पर मैं यहां इन्हे "हीरा" भी मानता हूं वो इसलिये .... हीरा जब टूटता है तो अनेकों हीरे का रूप ले लेता है .... बिलकुल ठीक इसी तरह ही दोस्ती-प्यार भी कहीं और ज्यादा मजबूत हो जाती है वो इसलिये कि उसने विरह, अलगाव, टकराव को महसूस जो किया होता है ....

.... खैर दोस्ती-प्यार पर चर्चा-परिचर्चा तो बाद मे कर लेंगे .... मुद्दे की बात तो ये है कि ब्लागिंग को अलविदा कहना सर्वथा अनुचित है .... ब्लागिंग पर सिर्फ़ ब्लागर का अधिकार नहीं है हम पाठकों का भी है ..... इसलिये ललित शर्मा जी से आग्रह है कि वे अपनी नाराजगी को छोडें और एक "शानदार-जानदार-जोशीली-भडकीली" पोस्ट लगायें .....

....... साथ ही साथ इस नाराजगी से जुडे "हर पहलु हर व्यक्तित्व" से भी आग्रह है कि सभी लोग अपनी-अपनी नाराजगी छोडें ..... भाईचारे व सौहार्द्र का माहौल पुन: निर्मित करें ...... जय ब्लागिंग ..... जय जय ब्लागर ..... जय जय छत्तीसगढ .... !!!!

6 comments:

Udan Tashtari said...

जय ब्लागिंग ..... जय जय ब्लागर ..... जय जय छत्तीसगढ .... !!!!


हम आपके साथ निवेदन में शामिल हैं.

विवेक रस्तोगी said...

प्यार खत्म नहीं होता

प्यार ललित भाई को खींचकर जरुर ले आयेगा।

रश्मि प्रभा... said...

itna badaa hai blogging ka mela, koi kahi pe zarur hai tera........naraaz kyun?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

नेट से सम्बन्ध
एक क्लिक में शुरू
एक क्लिक में बन्द!

दिगम्बर नासवा said...

जय छत्तीसगढ ....

Randhir Singh Suman said...

nice