..... पिछली पोस्ट को लिखा, एक बार पढ कर देखा और पोस्ट कर दिया ...... दोपहर में एक मित्र का फ़ौन आया ... वो हंसने लगा ... मैंने पूछा क्या हुआ ... वह हंसते-हंसते बोला ... श्याम भाई क्या कमाल कर रहे हो .... इतना विस्फ़ोटक क्यों लिख रहे हो ....... जरा "ठंडे दिमाग" से लिखा करो .... पोस्ट में "जिस्म की नुमाईस" कुछ ज्यादा हो गई है ..... पोस्ट "आग उगल" रही है ..... जाओ उसमें करेक्शन करो ..... बातें सुनकर मैं सोच में पड गया ..... फ़िर पोस्ट को पुन: "ठंडे दिमाग" से पढा .... लगा करेक्शन जायज है !!!!
.... पिछली पोस्ट में करेक्शन कर दिया गया है ... लेकिन उतना ही जितना .... जायज था !!!!!
5 comments:
समय समय की बात है।
पहले घरों में बड़े बूढों के आगे बहु बेटियां नज़रें नीची रखती थी ।
आजकल बेटियां ऐसे कपडे पहनती हैं कि बड़ों को नज़रें नीची रखनी पड़ती हैं।
जेनेरेशन गैप।
डाक्टर दराल से सहमत
ऐसे मित्र आसपास बनाये रखिये..
prography at its best
इसे चाहे युग का प्रभाव कह लीजिए या फिर पश्चिमी बयार...लेकिन इतना तय है कि ये हवा रूकने वाली नहीं है..
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