"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
बहुत सुंदर कविता जी
विचारोत्तेजक!
बहुत सुन्दर ।नेकी कर , आगे चल।
'तेरी मंजिल परशुभकामनाएं देकर तुझकोमैं अपनी राहों पर निकल जाऊंगा'--बहुत खूब!
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4 comments:
बहुत सुंदर कविता जी
विचारोत्तेजक!
बहुत सुन्दर ।
नेकी कर , आगे चल।
'तेरी मंजिल पर
शुभकामनाएं देकर तुझको
मैं अपनी राहों पर निकल जाऊंगा'
--बहुत खूब!
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