आजकल चारों ओर ब्लागिंग का बोलबाला है नेता, अफ़सर, कलाकार, पत्रकार, फ़िल्मकार, खिलाडी व अनाडी सभी लोग ब्लागिंग में मदमस्त हैं और अपनी-अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर रहे हैं .... सभी ब्लागर बधाई के पात्र हैं जो साहित्य के सृजन व ब्लागिंग को नई ऊंचाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।
ब्लागिंग में "समूह ब्लाग" का भी जबरदस्त बोलबाला है ऎसे बहुत सारे ब्लागर हैं जिन्होंने अनेकों समूह ब्लाग बना रखे हैं और सफ़लता पूर्वक संचालन भी कर रहे हैं ..... समस्या यहां पर ये है कि यदि एक सदस्य ने कोई पोस्ट प्रकाशित की, उस पोस्ट के ऊपर दो-चार घंटे बाद ही किसी दूसरे सदस्य ने एक और नई पोस्ट प्रकाशित कर दी ..... यहां पर होगा ये कि पाठक आयेगा "लेटेस्ट पोस्ट" को पढेगा और टिप्पणी मार कर चला जायेगा .... अब दो-चार घंटे पहले पोस्ट प्रकाशित करने वाले बेचारे ब्लागर का क्या होगा !!!
एक और गंभीर समस्या .... कोई पाठक किसी ब्लागर के "प्रोफ़ाईल" पर पहुंचता है तो वहां ढेर सारे ब्लाग की सूची दिखाई देने लगती है अब पाठक कौन से ब्लाग को खोले .... कौनसा ब्लाग लेटेस्ट अपडेट है .... कौन से ब्लाग में क्या मिर्च-मसाला है ये समझ में ही नहीं आता ..... पाठक आनन-फ़ानन में किसी एक ब्लाग को खोलता है तो उसमे पोस्ट एक साल पहले की प्रकाशित हुई रहती है .... फ़िर हिम्मत करके किसी दूसरे ब्लाग को खोलता है तो उसमे "लेटेस्ट पोस्ट" किसी दूसरे ब्लागर की रहती है ऎसे में होता ये है कि पाठक यहीं से "नमस्ते" कर के चला जाता है .... क्या यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नही होगा कि समूह ब्लागिंग के चक्कर में "नामचीन ब्लागर" अपनी पहचान खोते नजर आ रहे हैं!!!
24 comments:
समीचीन बिन्दुओ पर दृष्टिपात किया है
सब गड्ड्मगड्ड हो जाता है
लेकिन सामूहिकता का अपना आनंद है नजरिया सकारात्मक होना चाहिए।
आजकल चारों ओर ब्लागिंग का बोलबाला है नेता, अफ़सर, कलाकार, पत्रकार, फ़िल्मकार, खिलाडी व अनाडी सभी लोग ब्लागिंग में मदमस्त हैं और अपनी-अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर रहे हैं .... सभी ब्लागर बधाई के पात्र हैं जो साहित्य के सृजन व ब्लागिंग को नई ऊंचाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।
bilkul sahi farmaya apne shyam ji
nice
यथार्थ लेखन।
आपसे सहमत हूँ। ब्लॉग अगर एक ही हो तो सही है । ज्यादा से असमंजस्य की स्थिति उत्पन्न होती है।
सामूहिक ब्लोगिंग का औचित्य समझ नहीं आया।
चलिए हम तो latest में पहुंचे. आभार.
आपकी बात से शतप्रतिशत सहमत। एक दिन मैं भी आपकी तरह ही सोच रही थी कि यदि मैंने सामूहिक पोस्ट पर कोई रचना डाली और यदि 10 मिनट बाद ही दूसरे ने डाल दी तो अर्थ क्या रहेगा? सामूहिक ब्लाग पर रचना का समय भी निर्धारित होना चाहिए। अनेक ब्लाग पर पढ़ने की कठिनाई भी है।
bilkul sahi baat hai ye!
kai dinon se main bhi yahi soch raha tha.. abhar shabd dene ke liye.
bahut hi sarthak soch.
samay ka antraal zaruri hai
सही लिखा आपने........."
आजकल चारों ओर ब्लागिंग का बोलबाला है नेता, अफ़सर, कलाकार, पत्रकार, फ़िल्मकार, खिलाडी व अनाडी सभी लोग ब्लागिंग में मदमस्त हैं और अपनी-अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर रहे हैं .... सभी ब्लागर बधाई के पात्र हैं जो साहित्य के सृजन व ब्लागिंग को नई ऊंचाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।.......यथार्थ लेखन।
कामकाजी व्यक्ति के लिए एक ब्लॉग में ही नियमित पोस्ट लिखना किंचित कठिन काम होता है ऐसे में कई-कई ब्लॉगों पर लिखना दिग्गजों का काम है. मैं मानता हूँ कि सामूहिकता का एक अलग ही आनंद है पर सामूहिकता के लिए नियमितता भी आवश्यक है एवं कन्टेंट व सामूहिक उद्देश्यों की सार्थकता भी आवश्यक है, यदि हम इन दोनों की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं तो हमें अपने एक ब्लाग को ही मैंटेंन करना अपने आप में अपने विषय के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है.
मैंनें मित्रों के सुझाव ई मेलों के बावजूद सामूहिक ब्लागों से अपने आप को इसीलिये अलग कर लिया है. आपके इस आलेख के लिए धन्यवाद उदय जी.
mauzoon sawaal uthaaye hain aapne!!
श्याम जी आपकी कई बातों से सहमत हूं मगर कुछ कहना भी चाहता हूं इस विषय पर , किसी भी सामूहिक ब्लोग पर पोस्ट करने से पहले ये बहुत आसानी से पता चल जाता है कि उस पर आखिर यानि लेटेस्ट पोस्ट कब आई है ..तो लेखक को खुद ही देख लेना चाहिए कि कितने समय के अंतराल बाद पोस्ट करना ठीक रहेगा और यदि ऐसा ही सब करें तो ठीक रहेगा । अब बात एक या एक से अधिक ब्लोग्स की तो इस विषय पर मेरी एक स्पष्ट राय है कि एक विधा का , एक विषय का एक ब्लोग होना चाहिए ..और यदि आप अलग अलग विषय और विधा पर लिख रहे हैं तो पाठकों की सहूलियत और सर्च परिणाम के लिहाज से अलग अलग ब्लोग पर उन्हें लिखना ही ठीक रहता है । हां ये बात ठीक है कि कई बार सामूहिक ब्लोग से जुडने के बावजूद नियमित रूप से उनपर नहीं लिख पाते ....मगर बहुत बार प्रोत्साहन और साथ के लिए जुडना पडता है ..आपका लिखा अच्छा लगा । शुभकामनाएं
अजय कुमार झा
श्याम भाई,
मै जरा विलंब से आया।
सामुहि्क ब्लाग के लिए सही ताल मेल आवश्यक है।
एक पोस्ट को कमसे कम 12घंटे का अंतराल तो मिलना चाहिए।इसे अन्य साथियों को भी समझना चाहिए।
हम भी कई ब्लाग से जुड़े हैं,
कई बार ऐसा होता है कि हमने पोस्ट लिख कर
प्रकाशन के लिए तैयार कर ली तभी किसी और साथी ने अपनी पोस्ट लिख कर प्रकाशित कर दी।
तब हमे वह पोस्ट दुसरे ब्लाग पर प्रकाशित करनी पड़ी। विशेष अवसरों के ब्लाग जैसे पिताजी, माताजी पर कोई स्मरण हैं तो हम अलग ब्लाग नही बना सकते, इसलिए अविनाश जी के सामुहिक ब्लाग पर लिखते हैं, पर अपने ब्लाग पर नित्य लिखते हैं।
इसलिए जिसके पास समय है तो वे सामुहिक ब्लागिंग करें।
अन्यथा अपने ब्लाग पर ही लिखें।
अच्छी पोस्ट-आभार
सामूहिक ब्लाग पर रचना डालने से पहले , रचना डालने वाले ब्लांगर को देखना चाहिये की पिछली रचना कब डाली गई है, ओर फ़िर कम से कम एक दिन बाद अपनी रचना डाले, मै आप की बात से सहमत हुं, ओर मेने अकसर देखा है, दुसरी बात एक ही रचना चार चार सामूहिक ब्लाग पर देखी गई है, यह भी गलत है
बिल्कुल सही कहा है आपने! बहुत ही बढ़िया और सार्थक लेख! उम्दा प्रस्तुती!
आप ने कुछ बन्धुओं की दुखती रग पर हाथ रख दिया है.......बधाई.....
यदि आपस में तालमेल रहे और कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो ऐसा नहीं होता है.
एक बात आपसे कृपया अन्यथा न लीजियेगा.
अनेकों को अनेक से सही कर लीजियेगा.
(अनेक का अर्थ ही है कई सरे, ये अपने आप में ही बहुवचन है फिर इसका बहुवचन "अनेकों" कैसे होगा?)
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बात तो सही है श्याम,लेकिन सामूहिक ब्लाग का भी अपना महत्व है।
देरी के लिये माफी...
श्याम जी आपने कहा "कोई पाठक किसी ब्लागर के "प्रोफ़ाईल" पर पहुंचता है तो वहां ढेर सारे ब्लाग की सूची दिखाई देने लगती है अब पाठक कौन से ब्लाग को खोले"
तो जहा तक मे सोचता हू कि प्रोफाइल मे ये सुविधा होती हॆ कि आप कॊन - कॊन से ब्लाग अपनी प्रोफाइल मे दिखाना चाहते हॆ...आप केवल अपना ही ब्लाग दिखा सकते हॆ...
अविनाश जी से मे सहमत हू कि सकारात्मक नजरिया होना चाहिये..
तो सब कुछ संभव हॆ..आभार
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