अगर चाहोगे
मुश्किलें हट जायेंगी
हौसला है लडने का
हर जंग जीत जाओगे !
मत देखो पहाडी को
कदम बढाओगे
तो चोटी पर पहुंच जाओगे !
हौसला है मजबूत
आग के दरिया को
तैर कर निकल जाओगे !
गर डर गये काटों से
तो फ़ूल कहां से पाओगे
चाह बनेगी दिल में
तो राह मिल जायेगी !
मत रुको डर कर
मत रुको थक कर
चलते चलो, बढते चलो
'मंजिल' को पा जाओगे !!
6 comments:
गर डर गये काटों से
तो फ़ूल कहां से पाओगे
चाह बनेगी दिल में
तो राह मिल जायेगी
Wah..bahut khoob!
मत देखो पहाडी को
कदम बढाओगे
चोटी पर पहुंच जाओगे
श्याम भाई-यही जज्बा हो्ना चाहिए।
मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।
सुंदर कविता के लिए आभार
सीधे सीधे जीवन से जुड़ी इस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता। एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है।
मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।
सुंदर कविता के लिए आभार
शिक्षाप्रद रचना।
प्रेरणास्पद कविता........"
amitraghat.blogspot.com
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