एक समय था जल रही थी
ऊंच-नीच की 'छोटी सी ज्वाला'
कुछ लोगों ने आकर उस पर
जात-पात का तेल छिडक डाला
भभक-भभक कर भभक उठी
वह 'छोटी सी ज्वाला'
फ़िर क्या था कुछ लोगों ने
उसको अपना हथियार बना डाला
न हो पाई मंद-मंद
वह 'छोटी सी ज्वाला'
अब गांव-गांव, शहर-शहर
हर दिल - हर आंगन में
दहक रही है 'छोटी सी ज्वाला' ।
4 comments:
SHYAM JI JWAAB NAHI AAPKA...
BEHTREEN RACHNAA.....
बिलकुल सही लिखा आप ने .धन्यवाद
विचारोत्तेजक!
न हो पाई मंद-मंद
वह 'छोटी सी ज्वाला'
अब गांव-गांव, शहर-शहर
हर दिल - हर आंगन में
दहक रही है 'छोटी सी ज्वाला' ।
sundar!
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