आज सुबह-सुबह पता चला "वेलेन्टाईन डे" किसी के लिये प्यार-मोहब्बत का दिन है, तो किसी के लिये मौजमस्ती का, और किसी के लिये खतरे से कम नही है ... भाई साहब हुआ यूं कि "अचानकमार टाईगर रिजर्व क्षेत्र" मे मेरा छोटा-मोटा काम था अकेला जाता तो सोचा एक-दो मित्रों को भी ले चलता हूं, सनडे का दिन है काम का काम हो जायेगा और दोस्तों के साथ छोटी-मोटी "पार्टी" भी हो जायेगी, फ़िर क्या था हम तीन मित्र निकल पडे।
... दोस्तों के साथ सफ़र ... तो बस सफ़र है हंसते-मुस्कुराते, मौज-मस्ती करते ४०किमी का रास्ता कैसे गुजर गया पता ही नही चला, पहुंचकर "दाल,चावल, टमाटर-भाटा-आलू की भुंजी चटनी" बनाने का हुक्म दे दिया, तभी एक मित्र बोला भाई साहब जंगल मे तो मंगल मनायेंगे कुछ "मुर्गा-सुर्गा" भी बुलवा लो, फ़िर एक और हुक्म दे दिया।
... घंटे-दो घंटे मे मेरा भी काम हो गया और हुक्म की तामीली भी हो गई, दो-दो,ढाई-ढाई पैक का वेज-नानवेज व देशी चटनी के साथ "भरपूर" आनंद लेने के बाद मौज-मस्ती करते हुये रात साढे-दस बजे तक वापस अपने-अपने घर आ गये।
... अब यहां तक तो कोई समस्या नही थी ... समस्या की घंटी अभी सुबह सबा-छे बजे मेरे मोबाईल पे बजी, एक दोस्त फ़ोन पर बडबडाने लगा ... तेरे साथ गया था ... बीबी चिल्ला रही है ... नाराज हो गई है ... किस के साथ "वेलेन्टाईन डे" मना कर आये हो ... किस के साथ गुल खिला कर आये हो ... जाओ उसी के साथ रहो मै तो चली मायके ! ... दोस्त की पूरी बातें सुनकर मेरा सिर चकरा गया .... मैने सांत्वना दिया मै आकर भाभी को समझाता हूं ... तू चिंता मत कर !!
... फ़ोन रखकर मै सोच में पड गया ... नींद खुल गई ... सन्नाटा सा छा गया ... मेरी "धरमपत्नी" सो रही थीं चेहरा देख कर मै भी थोडा "सकपका" गया ... कहीं ये "वेलेन्टाईन डे" का भूत मुझे भी न पकड ले .... कहीं ऎसा न हो सुबह-सुबह की चाय भी न नसीब हो .... !!!
8 comments:
हा..हा..हा..मजेदार रहा ये..कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें.
bahut sunder byangya,.....majedaar.
कहीं ये "वेलेन्टाईन डे" का भूत मुझे भी न पकड ले .... कहीं ऎसा न हो सुबह-सुबह की चाय भी न नसीब हो
wah kya baat kahi hai...
हा हा हा ! किसी किसी दिन घर पर रहना ही अच्छा है।
मजे दार, लेकिन दोस्त को बचाया कि नही,
बहुत बढिया. बधाई.
मज़ेदार! सपने भी डराने लगे!
ha ha ha ........
Post a Comment