Friday, February 12, 2010

वेलेन्टाईन डे / valentineday

किसी का दिया फ़ूल
हाथों में सजाये हैं
तेरे लिये "वेलेन्टाईन डे" पर
झूठी बहार लाये हैं

दिलों में कुछ नही है उनके
इसलिये हाथों मे फ़ूल सझाये हैं
नजर दौडायेगी
तो हर हाथों में फ़ूल पायेगी

उठा नजर
मत देख मेरे हाथों को
देख सकती है, तो देख
"दिल" ही "गुलाब" है मेरा।

10 comments:

मनोज कुमार said...

इन मुद्दों पर सजग और गंभीर रहना बेहद जरूरी है ।

दिगम्बर नासवा said...

दिल ही गुलाब है ..... सच कहा दिखावे में क्या रखा है ... बहुत अच्छा लिखा ..........

श्रद्धा जैन said...

उठा नजर
मत देख मेरे हाथों को
देख सकती है, तो देख
"दिल" ही "गुलाब" है मेरा।

waah bahut khoob
dil hi gulaab hai mera

Neeraj Kumar said...

किसी का दिया फ़ूल
हाथों में सजाये हैं
तेरे लिये "वेलेन्टाईन डे" पर
झूठी बहार लाये हैं


सही है...आजकल भावनाए दिखावा बन गयी हैं...इसलिए इस तरह की रूखी कविताओं का जन्म हो रहा है...वास्तविकता यही है...एयर सही है...

vandana gupta said...

waah .........kya baat kah di.......zabardast.

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

राज भाटिय़ा said...

उठा नजर
मत देख मेरे हाथों को
देख सकती है, तो देख
"दिल" ही "गुलाब" है मेरा।
बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना
धन्यवाद

Akanksha Yadav said...

वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !!
_________________________________
"शब्द-शिखर" पर सेलुलर जेल के यातना दृश्य....और वेलेंटाइन-डे पर "पहला प्यार" !

डॉ टी एस दराल said...

"दिल" ही "गुलाब" है मेरा।

यही सही है।
वैसे भी गुलाबों में अब खुशबू कहाँ।

36solutions said...

संपूर्णता. धन्‍यवाद उदय जी.