कुछ पल के लिये अच्छी है
समर्पण की भावना
सदा के लिये अच्छी है !
जरा सोचो
हमने क्या खोया - क्या पाया
और जरा सोचो
तुमने क्या पाया - क्या खोया !
जिंदगी की राहों में
जीत कर भी हारते हैं कभी
कभी हार कर भी जीत जाते हैं !
भावना हार-जीत की नहीं
समर्पण की देखो !
जीतने वाले को
और हारने वाले को देखो
खुशी को देखो
और अंदर छिपी मायूसी को देखो !
फ़िर जरा सोचो
कौन जीता - कौन हारा
कौन हारा - कौन जीता
मत हो उदास, जीत कर भी तू
संतोष कर
देख कर मुझको
हारा नही हूं, हारा नही हूं !!
हारा नही हूं, हारा नही हूं !!
15 comments:
जिंदगी की राहों में
जीत कर भी हारते हैं कभी
कभी हार कर भी जीत जाते हैं
sahi kaha aapne
हारा नही हूं, हारा नही हूं ।
.....sunder, rochak.
बहुत खूब लिखा
जरा सोचो
हमने क्या खोया - क्या पाया
और जरा सोचो
तुमने क्या पाया - क्या खोया
आभार...........................
बहुत खूब लिखा
बहुत सुन्दर व सटीक रचना है।बधाई स्वीकारें।
shyam ji plz visit my new post....
.....देश सबका है......
....कहीं ऐसा तो नहीं....
बहुत सुन्दर.
achhi baaten hameshaa hi achhi hoti hain uday ji badhaayee aur aabhaar ..
arsh
ji sahi kaha santoshi kabhi nhi harta........bahut hi sundar.
भावना हार-जीत की नहीं
समर्पण की देखो
जीतने वाले को
और हारने वाले को देखो
खुशी को देखो
और अंदर छिपी मायूसी को देखो
waah
जीवन की सार्थकता. बहुत सुन्दर कविता, धन्यवाद उदय जी
हर पल, पाने की चाह
कुछ पल के लिये अच्छी है
समर्पण की भावना
सदा के लिये अच्छी है
जरा सोचो
हमने क्या खोया - क्या पाया
और जरा सोचो
तुमने क्या पाया - क्या खोया
Kitna saty hai!
जिंदगी की राहों में
जीत कर भी हारते हैं कभी
कभी हार कर भी जीत जाते हैं
भावना हार-जीत की नहीं
समर्पण की देखो
उदयजी सही बात है प्रश्न हार जीत का नही क्या पाया और क्या खोया की भी नही--- भावना केवल सएपण की है जो हमेशा खुशी देता है समर्पण मे आदमी कभी हार जीत नही देखता कितनी बडे बात है सुन्दर अभिव्यक्ति शुभकामनायें
जिंदगी की राहों में
जीत कर भी हारते हैं कभी
कभी हार कर भी जीत जाते हैं
behtareen....
"हर पल पाने की चाह
कुछ पल के लिये अच्छी है"
....
सच्ची सीख, बहुत सुंदर
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