चिट्ठाकार तो बस चिट्ठाकार है वह कुछ भी लिख सकता है, न तो उसे किसी से कुछ पूछने की जरूरत है और न ही किसी से "अनुमती" लेने की जरूरत है . . . सीधे शब्दों मे कहा जाये तो "अपनी ढपली-अपना राग" है ... यूं भी कह सकते हैं वह 'जंगल का राजा' है ... अरे भाई चिट्ठाकार "शेर" है !
... अब हाल तो ये है भाई साहब जंगल का राजा भी चतुर व चालाक "लकडबघ्घों" की बजह से तनिक सहमा व भयभीत रहता है, अब वो पुरानी राजशाही व मान-मर्यादा रह कहां गई है, छोटे-बडों का लिहाज भी नई पीढी के लोग भूलते जा रहे हैं जिसको मौका मिला वो दूसरे को "गटक" गया।
ठीक इसी तरह हमारा "चिट्ठाकार शेर" भी भयभीत रहने लगा है ... अरे इस शेर को किसी से डरने की क्या जरूरत है इसका कोई क्या बिगाड लेगा ? ... अब बिगाडने की बात मत पूछिये साहब ... इस शेर की भी एक "दुम" है दुम से मेरा मतलब "टिप्पणी बाक्स" से है, इस दुम पर कोई महानुभाव कभी-कभी "छोटे-छोटे फ़टाकों की लडी" लगा कर चला जाता है वह धीरे-धीरे फ़ूटते रहती है और "चिट्ठाकार शेर" डरा-सहमा दुम दबाये भागते फ़िरता है।
इससे भी ज्यादा खतरनाक तो "बेनामी" टिप्पणीकार है वह छोटे-मोटे फ़टाकों मे विश्वास नही करता ... वह तो सीधा "बम" उठाता है और लगाकर गुमनाम- अंधेरी गलियों मे चला जाता है .... अब जरा सोचो बम के फ़टने से "चिट्ठाकार शेर" की क्या हालत होती होगी ... अब बेचारा 'भयभीत चिट्ठाकार" करे तो करे क्या !!
9 comments:
उदय जी इस शेर को कहिये कि अपने ब्लागो पर बेनामी टिप्पणियो पर माडरेशन लगा दे, शुरु शुरु मे हमे भी इन बेनामियो से बहुत परेशानी हुई अब जब से बेनामी टिप्पणियो को रोक दिया है दुम दबाने और पलायन करने की चिंता अब दूर हो गयी है.
मेरे समझ के अनुसार बेनामी टिप्पणियो पर माडरेशन ब्लाग़ पोस्ट को हिट करने के लिये ही कतिपय लोग नही लगाते और अपने पोस्ट को हिट करने के लिये कभी कभी स्वय बेनामी टिप्पणी करते है.
दुम की परवाह किये बिना शेर को दहाडते रहना चहिये बस.
शेर को शेर की तरह रहना चाहिए ......... अपना काम करो और मस्त रहो ...... किसी के कुछ कहने से क्या होने वाला है ...
tiwari ji ki baat se sahmat hun.
ठंडा पानी पीये और सो जाए
कल, ७ फरवरी को मैं दिल्ली में, ब्लागर्स मीट में शरीक था. बेनामी टिप्पड़ियों पर ज्यदा चर्चा रही. बेनामी या नामदार, जो भी हो, उसे मुंह तोड़ जवाब दिया जाना चाहिए. लखनऊ ब्लागर्स एसोसिएशन पर भी कोई हजरत थे. हम लोगों ने मिलकर उन पर प्रहार किया और अब उनका पता नहीं है. जब भी ऐसा अवसर आए, आप अपने मित्र ब्लोगर्स से, उस के खिलाफ कमेंट्स का पहाड़ खड़ा कर दें.
मेरी जहाँ आवश्यकता महसूस करें, आवाज़ दें, मैं हाज़िर हूँ.
उदय जी दुम की परवाह किये बिना शेर को दहाडते रहना चहिये
दिल्ली ब्लोगर मिलन में हुई चर्चा सार्थक रही।
आप खाली लिखते रहें , चर्चाओं पर ध्यान न दें।
अरे श्याम भाई, मैं तो चिठाकारों द्वारा की जा रही चर्चा के बारे में बात कर रहा था ।
ये कई बार विवादास्पद हो जाती हैं।
ब्लोगर मीट में हुई चर्चाओं का जिम्मा हमने अजय झा पर छोड़ दिया है। और आज ही प्रकाशित होने वाला है।
सच मानिये , इससे बेहतर और सारगर्भित चर्चा हो ही नहीं सकती।
पूर्णतय सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई सभी चर्चाएँ।
जो टिप्पणी अच्छी न लगे उसे निरस्त कर दें.
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