"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
हमारी दोस्ती, ‘खुदा’ बन जाए है इच्छाअब खुशबू अमन की, ‘खुदा’ ही बाँट सकता है ।
जी बहुत अच्छा है
achchey bhaav hain.
उदय भाई एक मुकम्मल गज़ल भी कह दो अब अच्छा लगेगा
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3 comments:
जी बहुत अच्छा है
achchey bhaav hain.
उदय भाई एक मुकम्मल गज़ल भी कह दो अब अच्छा लगेगा
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