"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
तेरी मासुमीयत की दास्तां, कितनी सुहानी हैदिलों के कत्ल कर के भी, बडे बेखौफ बैठे हो ।
Vaah..........lajawaab sher hai...
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