Monday, April 13, 2009

शेर - 27

नही है खौफ बस्ती में, तेरी खुबसूरती का
खौफ है तो, तेरी कातिल अदाएँ हैं ।

8 comments:

mark rai said...

आँखें जब बात करती है, तो सब सुनते है । बोलता कोई नही । वहां शब्दों की जरुरत नही । उन आंखों में गजब का आकर्षण होता है । कहानी ख़ुद ब ख़ुद बयां हो जाती है..... तेरी कातिल अदाएँ हैं....

मीत said...

सच में कातिल है....
मीत

Alpana Verma said...

bahut khuub!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

तेरी कातिल अदाएँ हैं ...

achcha sher he..
esa laga maano aap poori gazal banakar pesh karte to aour mazaa aataa..bahrhaal sher maakool he.

Vinay said...

खौफ है तो, तेरी कातिल अदाएँ हैं

वाह-वाह बहुत ख़ूब

Arvind Gaurav said...

kya khoob kaha aapne.

हरकीरत ' हीर' said...

नही है खौफ बस्ती में, तेरी खुबसूरती का
खौफ है तो, तेरी कातिल अदाएँ हैं ।

वाह...वाह.......!!

जाने वो कौन सी अदा थी उनकी
के हम हयात से कोसों दूर निकल आये ...!!

Arvind Kumar said...

aapke kahne ka andaz,sach me katil hai....