"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
“मनुष्य स्वतंत्र नही है क्योंकि वह हर क्षण नैसर्गिक कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों के बंधन में जकडा हुआ है।”
अब तो सीधे आपकी साइट पर ही चले जाय करेंगे। बधाई हो आपको।
बहुत ही अच्छी बात बताईधन्यवाद
अच्छी बातों का भंडार हैं।
bahut khub jankari hai yah. agar kabhi aapko waqt mile to mera blog bhi dekhen.www.salaamzindadili.blogspot.com
मनुष्य स्वतंत्र नही है क्योंकि वह हर क्षण नैसर्गिक कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों के बंधन में जकडा हुआ है।”kartabya aur uttardayiton me bhi to aadmi pis jata....!!
"नैसर्गिक कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों"पूरी बात ही ख़त्म हो गयी इतने में ! धन्यवाद !
सही कहा है आपने.
सुंदर और यथार्थ
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8 comments:
अब तो सीधे आपकी साइट पर ही चले जाय करेंगे। बधाई हो आपको।
बहुत ही अच्छी बात बताई
धन्यवाद
अच्छी बातों का भंडार हैं।
bahut khub jankari hai yah. agar kabhi aapko waqt mile to mera blog bhi dekhen.
www.salaamzindadili.blogspot.com
मनुष्य स्वतंत्र नही है क्योंकि वह हर क्षण नैसर्गिक कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों के बंधन में जकडा हुआ है।”
kartabya aur uttardayiton me bhi to aadmi pis jata....!!
"नैसर्गिक कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों"
पूरी बात ही ख़त्म हो गयी इतने में ! धन्यवाद !
सही कहा है आपने.
सुंदर और यथार्थ
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