"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
‘उदय’ से लगाई थी आरजू हमनेअब क्या करें वो भी हमारे इंतजार मे थे।
वाह साहब बहुत खूब!---गुलाबी कोंपलेंचाँद, बादल और शाम
badhiya laga netajee.com per aaker...ek baat btayen ki naam netajee kyun...????
फ़ालो करें और नयी सरकारी नौकरियों की जानकारी प्राप्त करें:सरकारी नौकरियाँ
भाई हम तो उदय जी का शेर पढने के लिए जिस आरजू के साथ बैठे थे , वह तो हमें मिल गया, जिसे हम गुनगुना रहे है और क्या.चन्द्र मोहन गुप्त
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4 comments:
वाह साहब बहुत खूब!
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गुलाबी कोंपलें
चाँद, बादल और शाम
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भाई हम तो उदय जी का शेर पढने के लिए जिस आरजू के साथ बैठे थे , वह तो हमें मिल गया, जिसे हम गुनगुना रहे है और क्या.
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