Sunday, January 18, 2009

शेर

झौंके बन चुके हैं हम हवाओं के

तेरी आँखों को अब हमारा इंतजार क्यों है।

5 comments:

Jimmy said...

good post hai ji nice good going


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daanish said...

bahot achha she`r hai....
isse ghazal mei tabdeel kijiye to hm sb ko aur achha parhne ko mil paaye........
---MUFLIS---

seema gupta said...

आज नही तो कल

होगा परिवर्तन

चहूँ ओर फैले होंगे पुष्प

और मन्द-मन्द पुष्पोँ की खुशबू
"जीवन से जुड़ी आशा और उमंग लाजवाब"

Regards

Aruna Kapoor said...

झौंके बन चुके हैं हम हवाओं के

तेरी आँखों को अब हमारा इंतजार क्यों है।

very nice and touching one!

राज भाटिय़ा said...

वतन की खस्ताहाली से मतलब नहीं उनको
वतन के शिल्पी होकर जो गददार बन बैठे।
बहुत सुंदर.
धन्यवाद