Monday, January 5, 2009

शेर - 5

उदय’ तेरी आशिकी, बडी अजीब है
जिससे भी तू मिला, उसे तन्हा ही कर गया।

2 comments:

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

उदय भाई साहिब

नए साल में नए मित्र जैसे खूबसूरत तोहफे के रूप में मिले हैं आप.

बहुत ही खूबसूरत शे'र के लिए धन्यवाद.

नीरज गोस्वामी said...

उदय भाई बहुत खूबसूरत शेर है...लेकिन पूरी ग़ज़ल कब पढ़वायेंगे...?
नीरज