Friday, August 17, 2018

तेरे छूने से

मैं टूटा नहीं था उतना उसके तोड़ने से
जितना मैं बिखर गया हूँ
तेरे छूने से

तू है कौन
ये मुझको बतला दे
मंशा क्या है आने की जतला दे

मैं खास नहीं हूँ
ये भी तुझको मालूम है

तू आम नहीं है
ये भी मुझको मालूम है

क्यूँ बिखेर चला जा रहा है मुझको
बस, तू ..
इतना बतला दे

क्यूँ आया था ...
मंशा क्या थी .. जतला दे .... ?

मैं टूटा नहीं था उतना .... !!

~ उदय