Tuesday, August 14, 2018

बेरहम

कौन जानता था, किसने सोचा था
कि
जिन्दगी बेरहम निकल जायेगी
और वक्त ... जालिम
कि -

कभी तन्हाईयाँ होंगी, और हम तन्हा होंगे

वर्ना
हम भी सहेज कर रख लेते कुछ रिश्ते
ये सोच कर
कि -
कभी काम आएंगे ... !

इसके लिए
हमें
बस .. थोड़ा ... खुदगर्ज ही तो बनना था !!

~ उदय