Friday, July 27, 2018

जलो मत बराबरी करो

लघुकथा : जलो मत बराबरी करो
---------------------------------------
एक दिन .. क्षेत्र में एक नये-नवेले लंगोटी बाबा के बढ़ते प्रभाव से चिढ़कर सारे बाबा .. बाबाओं के बाबा - "बाबा अमरकंटक" के पास पहुँचे .. और लंगोटी बाबा की बुराई करने लगे ...

"बाबा अमरकंटक" 2-3 मिनट में ही सारी कहानी समझ गए .. और बालक हंटरधारी को बुलवाया ... तथा आदेश दिया कि इन सब को लाइन से खड़ा कर 10-10 हंटर का प्रसाद बाँटा जाए ....

हंटर खाने के बाद सभी बाबा तिलमिलाए हुए .. मुंह लटका कर खड़े हो गए ... तब "बाबा अमरकंटक" बोले .. अबे गधो ... धरती के बोझो .... तुम सब लोग शौक से बाबा बने हो .. और उसे मजबूरियों ने बाबा बना दिया है ....

तुम लोग 10-10, 20-20 साल की बाबागिरी में भी अभी उस लेबल तक नहीं पहुंचे हो जहाँ वो 1 साल में ही पहुँच गया है ... अगर तुम उसकी लंगोटी तक पहुँचने की कहानी ....

और लंगोटी से यहाँ तक पहुँचने की कहानी सुनने के इच्छुक हो तो ... मुझे एक बार फिर से बालक हंटरधारी को बुलाना पड़ेगा और इस बार 100-100 हंटर का प्रसाद .... बोलो क्या बोलते हो ???

100-100 हंटर का नाम सुनते ही .. सभी बाबा ... प्रणाम करते हुए जाने की मुद्रा में खड़े हो गए .... बाबाओं के बाबा - "बाबा अमरकंटक" समझ गए कि .. इनके लिए आज इतना डोज (खुराक) पर्याप्त है .. किन्तु ...

अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना करने से पूर्व ... "बाबा अमरकंटक" ने .. सब के कान में सफलता का एक अद्भुत व बेहद प्रभावशाली मंत्र फूँक दिया .. "जलो मत बराबरी करो" .... !!

~ उदय

1 comment:

शिवम् मिश्रा said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, तस्मै श्री गुरुवे नमः - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !