गर ... अगर ... बात ... सिर्फ हार-जीत की होती तो
हम .. छोड़ देते ...
दे देते .. तुझे .. ये बाजी
मगर तूने
ये जो माहौल बनाया है
कि -
तुझसे बड़ा .. कोई खिलाड़ी नहीं है ..
कोई तुर्रम नहीं है
ये बात ... हमें कुछ जंच नहीं रही है
इसलिए ..
अब ... दो-दो हाथ ...
तुम ... तय समझ लो दोस्त ...
दर-असल .. जमाने को भी
तुम्हारी हकीकत से ... रु-ब-रु कराना .. जरूरी है ..
वर्ना .. तुम ... और तुम्हारी डींगें ... उफ्फ .... ???
~ श्याम कोरी 'उदय'
हम .. छोड़ देते ...
दे देते .. तुझे .. ये बाजी
मगर तूने
ये जो माहौल बनाया है
कि -
तुझसे बड़ा .. कोई खिलाड़ी नहीं है ..
कोई तुर्रम नहीं है
ये बात ... हमें कुछ जंच नहीं रही है
इसलिए ..
अब ... दो-दो हाथ ...
तुम ... तय समझ लो दोस्त ...
दर-असल .. जमाने को भी
तुम्हारी हकीकत से ... रु-ब-रु कराना .. जरूरी है ..
वर्ना .. तुम ... और तुम्हारी डींगें ... उफ्फ .... ???
~ श्याम कोरी 'उदय'
1 comment:
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