खूब जुदा है, अदा उसकी 'उदय'
उफ़ …
बस …
सिर्फ …
दर्द की इक इंतेहा कहानी है ?
न मिलती है
न बिछड़ती है
'खुदा' जाने …
दोस्त है वो, या रकीब है,
अब … क्या बयां करूं
कैसे बयां करूं
जख्म हैं, पर निशां नहीं हैं, उफ़ …
बस …
सिर्फ …
दर्द की इक इंतेहा कहानी है ?
1 comment:
nice...
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