Sunday, March 22, 2015

23 मार्च …

क्यूँ इश्क के लिए इबादत करें
रंज-औ-गम तू छोड़, कुछ और बातें करें
गर इश्क में ही मरना है
तो चल वतन से मुहब्बत करें, 
 
तनिक ख्याल-औ-मिजाज बदल के देख
फिर देख, खौल तू लहू का
गर समंदर की लहरें भी न फीकी पड़ जायें
तो तू पानी समझ, मेरा लहू बहा देना, 
 
वर्ना, कब तक रोता-बिलखता रहेगा तू
झूठी मुहब्बत में …
आ संग मेरे, एक सच्ची मुहब्बत करें
रंज-औ-गम तू छोड़, कुछ और बातें करें ? 


~ श्याम कोरी 'उदय'