यकीं कर, यकीं रख
रंज-औ-गम के बादल छट जायेंगे
इक दिन … तुझे भी …
खुद ब खुद 'खुदा' मिल जायेंगे ??
…
सच ! लम्हें लम्हें में,… उन्ने,… झूठ के दांव चले हैं
ब्लाइंड गेम है, हार भी सकते हैं…जीत भी सकते हैं ?
…
सिर्फ प्रचारों और दुष्प्रचारों से सरकारें बनती होतीं 'उदय'
तो शायद, अब तक, कइयों की सरकारें बन गईं होतीं ??
…
जबकि …
दिल में, इक आस लगाये बैठे हैं
दिल में, इक आस लगाये बैठे हैं
फिर भी …
न जाने क्यूँ, दूर वो हमसे बैठे हैं ?
… न जाने क्यूँ, दूर वो हमसे बैठे हैं ?
No comments:
Post a Comment