आज हमने, उनपे, इश्क का दावा ठोक दिया है
आखिर हमने,.... हर रोज किश्तें जो भरी थीं ?
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अबे ढक्कन,.... कस के रहा कर
साकी-औ-सबाब बैठे हैं अन्दर ?
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क्या खूब तमाशे चल रहे हैं, आज अपने मुल्क में 'उदय'
चॉकलेट से महंगे रैपर, औ अनाज से महंगे बोरे हुए हैं ?
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आहट सुन के भी 'उदय', वे आँगन तक नहीं आये
उफ़ ! उनकी नाराजगी की.........कोई हद तो देखे ?
1 comment:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है
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