Friday, January 11, 2013

पुलिस अंकल ...


सख्त क़ानून ...

सख्त क़ानून से 
उन्हें परहेज नहीं है 'उदय' 
डर तो इस बात का है 
कि - 
कहीं कल 
खुद उनकी बारी न आ जाये 
फांसी पे चढ़ जाने की ?
...
कुकुरमुत्ते ...

जैसे ... कुकुरमुत्ते ऊग जाते हैं 'उदय' 
ठीक वैसे ही ... 
आज ... उन्ने ... 
अभी-अभी ... 
शब्द-रूपी ... कुछ पौधे उगाये हैं 
आज उनकी ... खूब ...
जय-जयकार ... वाह-वाही ... होगी ? 
...
पुलिस अंकल ... 

पुलिस अंकल ... 
आप इतने क्रूर क्यूँ हैं ? 
क्या आपके घर में ... 
बहु ... 
बेटी ... 
बहन ... 
पोती ... 
नातिन ...... नहीं हैं ??
... 
... 
... 
बांहों में, उनके सिमटने का एहसास हुआ ही था 'उदय' 
कि - ठीक तभी.........................क़यामत आ गई ?
... 
जाते-जाते, आज उन्ने मुड़ के मुस्कुराया है 
अब 'खुदा' ही जाने, .......... मंसूबे उनके ? 
...
मुश्किलों से लड़ने का भी, अपना एक मजा है 'उदय' 
हार-जीत तो ..................... 'बाबा' के हाँथ में है ? 
... 
गर होता 'उदय', जेहन में उनके, गुलामी का खौफ 
तो कदम उनके,..... आज इतने बेख़ौफ़ नहीं होते ? 
... 

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सन्नाट..

Anonymous said...

समसामयिक और सटीक

प्रतिभा सक्सेना said...

'डर तो इस बात का है
कि -
कहीं कल
खुद उनकी बारी न आ जाये
फांसी पे चढ़ जाने की ?'
- बिलकुल सच!

सूर्यकान्त गुप्ता said...

झन्नाटेदार .....बहुत खूब!

जय जोहार .......