Friday, September 14, 2012

जन्नत ...

सुनो मियाँ ...
हम खुद हमारे 'खुदा' हैं !
और तो और 
हम तुम सब के भी 'खुदा' हैं !!
हमें 
किसी की परवाह नहीं है 
हम जब चाहेंगे तब - 
मा...  
म...
ला...
मु... 
क...
श ... 
को, ... या जिसे चाहे -
उसे खरीद लेंगे ? 
और 
बना लेंगे, जन्नत अपनी ??
जैसे -
बनाई है अब तक ???