'उदय' चल उठा ले, दियासलाई की डिब्बी
दिल्ली में, कूड़ा-करकट का ढेर हुआ है ?
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मयकदा है, ...... या है हवामहल
जिसे देखो, हवा में बात करता है ?
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आज स्तरीय संपादकों की कमी है 'उदय'
वर्ना, मजाल है वाह-वाही न मिले ?
...
अब नींद की चाहत किस कमबख्त को है 'उदय'
इन सुलगती-तपती रातों में ?
...
बिना पिये, अब किस जालिम को आनी है नींद
तू आँखों में डूब जाने दे, या देखूँ मैं मयकदा ?
4 comments:
bahot achche.....
बिना पिये, अब किस जालिम को आनी है नींद
तू आँखों में डूब जाने दे, या देखूँ मैं मयकदा ?
...चल मैं तुझे हिलती हुयी दुनिया दिखाता हूँ !
बिना पिये, अब किस जालिम को आनी है नींद
तू आँखों में डूब जाने दे, या देखूँ मैं मयकदा ?
...चल मैं तुझे हिलती हुयी दुनिया दिखाता हूँ !
बहुत खूब..
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